tag:blogger.com,1999:blog-6761177145198690870.post4482773521433773266..comments2023-04-16T06:54:48.102-07:00Comments on अयस्क: सिस्टम की अफीमAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/05392030919758226718noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6761177145198690870.post-1084499718562949342010-07-19T00:28:21.656-07:002010-07-19T00:28:21.656-07:00बहुत अच्छे ________ आप का लेख अच्छा लगा !बहुत अच्छे ________ आप का लेख अच्छा लगा !Coralhttps://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6761177145198690870.post-29520488650095090732010-07-18T18:12:55.552-07:002010-07-18T18:12:55.552-07:00व्यवस्था का अस्तित्व स्वार्थ और भावना जैसी दो विपर...व्यवस्था का अस्तित्व स्वार्थ और भावना जैसी दो विपरीत प्रवृत्तियों पर टिका है<br /><br />-सही सूत्र.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6761177145198690870.post-433785759282458002010-07-18T10:49:22.967-07:002010-07-18T10:49:22.967-07:00इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्व...इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6761177145198690870.post-48854844373981136732010-07-12T09:00:59.484-07:002010-07-12T09:00:59.484-07:00तलाश जिन्दा लोगों की ! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
क...तलाश जिन्दा लोगों की ! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!<br />काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।<br />=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=<br /><br />सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।<br /><br />ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।<br /><br />इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।<br /><br />अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।<br /><br />आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।<br /><br />शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-<br /><br />सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?<br /><br />जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-<br /><br />(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)<br /><br />डॉ. पुरुषोत्तम मीणा<br />राष्ट्रीय अध्यक्ष<br />भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)<br />राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय<br />7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)<br />फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666<br />E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.inभारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/12363266787410149792noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6761177145198690870.post-32256944145133034362010-07-12T09:00:26.829-07:002010-07-12T09:00:26.829-07:00मैं तो कहूँगा कि सब कुछ स्वार्थ और भावना जैसी विपर...मैं तो कहूँगा कि सब कुछ स्वार्थ और भावना जैसी विपरीत प्रवृत्तियों के साथ साथ इन दिनों तो दोनों पक्षों की ओर से भावनात्मक व्यभिचार के भी लोग शिकार हो रहे हैं और पवित्रता समाप्त हो रही है. अच्छे लेखन के लिए शुभकामनाओ सहित!<br /><br />आपका<br />-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'<br />सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है।<br />इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में ४३६४ आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : ०१४१-२२२२२२५ (सायं : ७ से ८) मो. ०९८२८५-०२६६६<br />E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.inभारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/12363266787410149792noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6761177145198690870.post-21984520339188604802010-07-11T10:29:48.289-07:002010-07-11T10:29:48.289-07:00परफेक्ट.....परफेक्ट.....डॉ. राजेश नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03985056503029264578noreply@blogger.com