tag:blogger.com,1999:blog-6761177145198690870.post5099356092336407842..comments2023-04-16T06:54:48.102-07:00Comments on अयस्क: बदलते दौर में.... (तीसरी और समापन किश्त)Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/05392030919758226718noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6761177145198690870.post-65856102020896669882011-08-22T21:45:20.468-07:002011-08-22T21:45:20.468-07:00किसी में प्रेम बीज रूप में होता है, तो किसी में नह...किसी में प्रेम बीज रूप में होता है, तो किसी में नहीं... ... – मैं थोड़ा रूकी, कहूँ न कहूँ का असमंजस... – हो सकता है ये गलत हो, लेकिन कहीं मुझे लगता है कि उसमें नहीं है...सूत्र.... -डॉ. राजेश नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03985056503029264578noreply@blogger.com